*जुदाई न मिले किसी को*
दिल तोड़ जाएगा वो तेरा
जो तू इश्क़ करेगा किसी को
तुझसे मिलने न आएगा वो
जो तू याद करेगा किसी को
है यही रीत इस इश्क़ की
न जाने कब हो जाए किसी को
चुरा लेता है कोई दिल तेरा
पता ही नहीं चलता किसी को
फिर क्या करें, क्या न करें
यही उलझन है हर किसी को
याद आती है बस उसी की
जब इश्क़ हो जाता है किसी को
खुद में ही खो जाता है वो
जब प्यार हो जाता है किसी को
सिर्फ महबूब की चाह होती है
याद करता नहीं वो फिर किसी को
डरता है जो पानी से
तैरकर पार कर जाता है दरिया को
हो महबूब अगर सामने उसके
भूल जाता है फिर वो दुनिया को
जादू से कम नहीं है ये इश्क़
दुनिया बदल देता जब हो जाए किसी को
नीले नभ में भी हो जाती है बारिश
जब महबूब की याद आती है किसी को
पत्थर भी पिघल जाते हैं
जब इश्क़ की आग जलाती है किसी को
बिजलियां कौंधती है तन में
जब महबूबा छू देती है किसी को
हो जिसे भी इश्क़ जहां में
महबूब मिल जाए हर किसी को
है यही दुआ मेरी रब से
इश्क़ में जुदाई न मिले किसी को।