जुड़वा भाई ( शिक्षाप्रद कहानी )
एक गांव में एक जमींदार रहता है उसकी जमींदारी लगभग छीन गई होती है वह अपनी पत्नी और दो जुड़वा बेटों के साथ रहता है
जुड़वा बेटों में एक का नाम रघु और एक का नाम राम होता है रघु राम से 15 मिनट से बड़ा होता है दोनों अपने गांव के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करता है दोनों पढ़ाई में सामान्य रहता है माता-पिता दोनों से समान स्नेह करते हैं ।
कुछ समय बाद दोनों भाइयों की दोस्ती कक्षा के कुछ अन्य छात्रों से होती है रघु की दोस्ती ठीक-ठाक छात्रों से होती है और राम की दोस्ती कुछ शैतान छात्रों से होती है वहीं से दोनों के बीच दूरियां बढने लगती है इसी प्रकार समय बीतता है…
कुछ समय बाद दोनों के स्वभाव व्यवहार में एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है रघु का स्वभाव व्यवहार ठीक-ठाक रहता है पर राम का स्वभाव व्यवहार बदल जाता है । शैतानी कर कर के उसके अंदर शैतानी बस जाती है वह अपने से बड़े बुजुर्गो, माता-पिता, शिक्षकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता है जब भी उसे के माता-पिता उसे समझाते वह उन्हीं का पेरेंट्स बनकर उन्हीं को डांट दिया करता है ।
राम इतनी शैतानी के बावजूद भी पढ़ाई कर लेता है वह कक्षा का टॉपर होता है इसका भी उसे गुमान होता है रघु को पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता है इसलिए वह पढ़ाई पर कम ध्यान देने लगता है जिस कारण वह पढ़ाई में कमजोर हो जाता है ।
रघु जैसे तैसे कर 12वीं तक की पढ़ाई करता है और राम अच्छे नंबरों के साथ 12वीं तक उत्तीर्ण करता आता है 12वीं के बाद रघु पढ़ाई छोड़ बिजनेस करने लगता है अपने पिताजी से कुछ पैसे लेकर क्योंकि रघु को बिजनेस में ही रुचि रहती है दो-तीन साल बाद रघु का बिजनेस अच्छा खासा चलने लगता है ।
उधर राम 12वीं के बाद एक अच्छा यूनिवर्सिटी में नाम लिखा कर ग्रेजुएशन पूरा करता है और वह दिल्ली मुखर्जी नगर यूपीएससी की तैयारी करने निकल जाता है पिताजी को बता देता है मैं आईपीएस बनने जा रहा हूं रूपया भेज देना । वह दिल्ली जाता है उसे दिल्ली की हवा लगती है वह पढ़ाई के साथ-साथ इधर-उधर ध्यान देने लगता है जिस कारण तीन बार प्रीलिम्स में ही फेल हो जाता है जब घर से दबाव आता है तब सीरियस होकर तैयारी करता है पर दो बार मेंस में फेल हो जाता है ।
अब उसका अंतिम अटेम्प्ट बचता है इस बार राम जान लगा देता है खूब पढ़ाई करता है इस बार वह इंटरव्यू तक जाता है इंटरव्यू में बोर्ड मेंबरों के साथ अच्छा व्यवहार ना करता है जिस कारण वह फेल हो जाता है वह बहुत रोता है बहुत पछताता हैं यह राम का अंतिम अटेम्प्ट होता है अब उसे समझ में आता है उसे अपने बड़े बुजुर्गो, माता-पिता, शिक्षकों, बोर्ड मेंबरों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए ।
उधर रघु का बिजनेस अच्छा चलता है जिस कारण से वह 100 करोड़ की कंपनी का मालिक बन जाता है लेकिन समय का पहिया इस कदर घूमता है कि रघु को बिजनेस में घाटा होने के कारण वह जीरो पर आ जाता है वह हताश निराश हो जाता है लेकिन हिम्मत नहीं हारता है मन से नहीं हारता है और फिर से खूब मेहनत करता है खून पसीना एक कर देता है देखते ही देखते कुछ ही वर्षों में रघु फिर से 2000 करोड़ की कंपनी का मालिक बन जाता है ।
उधर राम खूब पछताता हैं फिर वह प्रतिज्ञा करता है कि आज से वह ऐसा व्यवहार किसी के साथ नहीं करेगा उसके बाद वह टीचर बन जाता है और यूपीएससी की तैयारी करने वाले बच्चों को पढ़ाने लगता है और हंसी खुशी अपनी जिंदगी व्यतीत करने लगता है ।
शिक्षा:- जैसा कि आपने देखा दोनों जुड़वा भाइयों का समान रूप से भरण पोषण, शिक्षा दीक्षा होता है फिर भी कैसे दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई आप पर आपके परिवेश के साथ-साथ आप कैसे लोगों के साथ रहते हैं इसका भी आप पर प्रभाव पड़ता है अगर आप नौ नालायक लोगों के साथ रहेंगे तो संभावना है दसवां नालायक आप ही होंगे ।
जरूरी नहीं आज जो आपसे पीछे है वह कल आपसे आगे नहीं आ सकता । समय का पहिया घूमता है और दिन सबका बदलता है ।
अगर किसी को कुछ करने की जिद हो तो उसे कोई भी विपत्ति रोक नहीं सकती है । मन के हारे हर है और मन के जीते जीत ।
हमें अपने बड़े बुजुर्ग को माता-पिता शिक्षकों का सदा आदर और सम्मान करना चाहिए । “भले आप कितने में पढ़े-लिखो विद्वान क्यों ना हो” जिस दिन आप अपने से बड़े बुजुर्गों, माता-पिता, शिक्षकों के साथ ऊंची आवाज में बात करते हैं उसे दिन से आपको शिक्षित कहलाने का कोई हक नहीं होता है ।
अंतिम शिक्षा, शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती है जैसा कि आपने अंतिम में देखा ।
मुझे उम्मीद है इस कहानी से मिलने वाली शिक्षाओं को आप अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करेंगे । धन्यवाद 💝