जी नहीं पाती विधवा रानी
********* जी नहीं पाती विधवा रानी *********
***************************************
जीना तो चाहती है पर जी नही पाती विधवा नारी,
खुलकर दिल की बात कह नहीं पाती विधवा नारी|
मन की बात मन में ही तो सिमट कर रह जाती है,
दुनिया के सामने नजर उठा नहीं पाती विधवा नारी|
मजबूर को सदा मजबूर करती आई है दुनियादारी,
भेड़ियों से आंचल को बचा नहीं पाती विधवा नारी|
बुरी नियत से नियति भंग होती सदियों मे है आई,
बनावटी हंसी में गम छिपा नहीं पाती विधवा नारी|
खुदा की खुदाई की तो चोट सह जाती है मनसीरत,
जमानेभर के दर्द को सिमेट नहीं पाती विधवा नारी|
****************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)