जी चाहता हैं
जुल्फों में फ़ना होने को जी चाहता हैं
आँखों में डूब मरने को जी चाहता हैं
आहिस्ता आहिस्ता आना मेरे नींद में
ख्वाबों में गुम जाने को जी चाहता हैं
तस्वीर काफ़ी नहीं हैं जी भरने को
तेरी मुरत बनवाने को जी चाहता हैं
बुखार जो चढ़ चुका हैं तेरे इश्क का
थोड़ा और बढ़ाने को जी चाहता है
होंठ बहुत ही रसीला हैं, देख चुका
अंगूर सा चूस लेने को जी चाहता है
✍️रवि कुमार सैनी
बहुत दिन बाद एक कोशिश,