जी आप पहले.जैसे नहीं रहे
पत्नी ने पति से कहा
जी जरा सुनिए
पति सहमा हुआ बोला
हाँजी!फरमाइए
जी !आप पहले जैसे नहीं रहे
पति ने प्रतिउत्तर में कहा
जी बदला भी आपने ही है
मैं तो स्वतंत्र सूझवान था
आपने ही कहा करते थे
जी आप ऐसे नहीं ऐसे करो
ऐसे क्यों किया ऐसे करना था
यह खाओ,यह मत खाओ
यह क्यों खाया,जी नहीं खाना था
यह क्या पहन रखा है
निकालो जल्दी,यह पहन.लो
वहाँ क्यों गए, नहीं जाना था
बताया क्यों नहीं,बताकर चले जाते
मैं कौन सा रोकती थी
यहाँ क्यों खड़े हो,नजर किधर है
कौन.थी वो,क्या लगती है
कब से जानते हो उसे
आप द्वारा पूछे जाने वाले
कवर्ग से बने प्रश्नात्मक
शब्दों की सतत प्रतिदिन
पुनरावृत्ति की बाणवर्षा ने
मेरे कानों की श्रवण शक्ति को
स्थिर अहज और लाचार
जो बना दिया था मुझ
सहज सरल समझदार को
पूर्णतया बदल दिया था
और अब कहती हो
आप पहले जैसे नहीं रहे
वैसे भी यह कटुसत्य है
शादी पूर्व आदमी की जुल्फें
चाहे रेशम सी सुंदर हो
शादी उपरांत सिर पर
बालरहित चाँद बन ही जाता है
और शादी से पूर्व लड़की की
कमर बलखाती कितनी ही फतली हो
शादी उपरांत भरतार की भार्या बन
कमर से कमरा बन ही जाती हैं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत