जी आजाद इस लोकतंत्र में
शीर्षक- जी आज़ाद इस लोकतंत्र में
——————
जी आज़ाद इस लोकतंत्र में,
कौन हुआ है आज़ाद और आबाद ?
और कौन हुआ है बर्बाद ?
क्यों बढ़ती जा रही गरीबी वट की तरह ?
क्यों कम नहीं हुई बेरोजगारों की कतार ?
आदमी के पसीने और डिप्लोमा- डिग्री की,
क्यों घट रही है आज कीमत ?
इस निजीकरण में कौन होगा आबाद ?
कौन बनेगा शिक्षा का मालिक ?
सिर्फ वो ही जिनके पास है खूब पैसा,
और बाकी आबादी होगी उनकी गुलाम।
जिनका है अधिकार कारखानों पर,
क्यों होंगे वो फकीर ?
नारा लगाया जाता है,
कि न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी देना,
एक कानूनी अपराध है,
संविधान में सबको जीने का,
समान अधिकार है,
लेकिन क्या हकीकत में इंसाफ है ?
जी आज़ाद इस लोकतंत्र में।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)