जीवन
जीवन
चंचल मन है कोमल काया, रे बंदे तूने जीवन में क्या खोया क्या पाया।
जीवन एक और सपने अनेक ,रे बंदे क्यों अपनी काया को मोह माया के तवे पर रहे हैं सेक।
जब जीवन में तेरे लगेगी ब्रेक, तो तू कहेगा हे भगवान बस तू ही है एक।
जीवन में न सपने देख अनेक ,जीवन का लक्ष्य रख बस एक तभी तो रंग से बनेंगे सेठ।
✍️ वंदना ठाकुर ✍️