दस्तूर जिंदगी का
जिंदगी का यही दस्तूर चल रहा है ,जो तेरी जिंदगी की कहानी है ,वही मेरी जिंदगी की कहानी है।
कभी खुशी है तो कभी ग़म है कभी किसी की याद में आंखें नम है ,कभी किसी के होठों पर मुस्कुराहट है ,तो कभी चेहरे पर मायूसी है।
जिंदगी का यही दस्तूर है ,सब चंद दिनों के मेहमान है ,यह जिंदगी है साहब यहां सब का आना जाना लगा रहेगा।
हम भी दो दिनों के मेहमान हैं ,ना जाने कब सांस रुक जाए, कब कलम लिखना बंद कर दें, जो भी पल जिंदगी के जियो हंसते और हंसाते जिओ।
✍️ वंदना ठाकुर✍