जीवन – एक अर्थहीन कविता
जीवन एक कविता कि तरह है,
लिपिबद्ध करना है इसे सांसों को कलम बनाकर।
कुछ पन्ने तुम्हारी मुस्कुराहट से चमकते होंगे,
और कुछ को नम कर दिया होगा तुमने आँसुओं से भीगोकर।
कई दफ़ा तुम्हारी कलम रुकना चाहेगी,
परंतु लिखते जाना है तुम्हें पकड़ मज़बूत बनाकर।
इस निरर्थक कविता को लिखना है तुम्हें,
शब्द अंकित करने के आनंद में खोकर।
– सिद्धांत शर्मा