जीवन
जीवन
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जड़ और अंत तक जीवन है,
इस बीच मृत्यु ही जीवन है ।
जीवन नाम हैं,
सदैव आगे बढने की लगन है ।।
जीवन फूल है,
प्रेम करुणा से मधु बाटना हैं ।
मनुष्य जीवन लेने के लिए,
बल्कि देने के भाव जगाना हैं ।।
मनुष्य जीवन को व्यर्थ ना करना ,
शीघ्र ही मरन पाना हैं ।
जीवन में कठिन परिश्रम की शिक्षा लेना,
सरल जीवन की पशिक्षा ना लेना ।।
जीवन नम्रता का पाठ है,
जीवन में विवेकशीलता रहना हैं ।
स्वाभिमान, आत्मज्ञान और आत्मसंयम,
आत्मसात कर आलौकिक शक्ति पाना हैं ।।
जीवन सतत विकासशील है,
स्थिर रहना नही ।
जो एक जगह रहता उसे भी मौका हैं ,
लेकिन ज्यादा देर कट जाता हैं ।।
दूसरों को अंधकार से निकालता ,
उसका जीवन प्रकाशमान है ।
यशपूर्ण जीवन सदैव ध्रुवमान हैं ।।
मनुष्य जीवन में मृत्यु किस प्रकार हुयी,
कोई महत्व नही ।
महत्त्व की बात हैं,
वह जीवित किस प्रकार रहता हैं ।
गतीशील, छायामात्र व संकीर्ण मार्ग जीवन में,
हमेशा कर्म करते रहना हैं ।।
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Raju Gajbhiye
@ Copyright
राजू गजभिये
लेखक एवं मार्गदर्शन
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र
हिंदी साहित्य सम्मेलन
बदनावर जिला धार
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