जीवन है सुख दुख का मेल
जीवन है, सुख-दुख का मेल
जन्म जन्म के कर्म का खेल
न दुख में रो, न सुख में हंस
सोच समझ दोनों को झेल
जीवन है, सुख-दुख का मेल
जन्म जन्म के कर्म का खेल
बड़ा विकट कर्मन का लेखा
नहीं वांचकर किसी ने देखा
जीवन में तो देख लो भैया
निकले न जीवन की रेल
जीवन है सुख-दुख का मेल
जन्म जन्म के कर्म का खेल
जग से लाख छुपा सकते हैं
खुद से नहीं बचा सकते हैं
निर्मल मन पर नहीं चढ़ाना
अपने बुरे कर्म का मैल
जीवन है सुख-दुख का मेल
जन्म जन्म के कर्म का खेल
प्रेम है भक्ति, पाप है हिंसा
मोह माया की बड़ी है लिप्सा
जैसा करो, भरो जीवन में
शुभ और अशुभ की लगी है सेल
जीवन है सुख-दुख का मेल
जन्म जन्म के कर्म का खेल