Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Aug 2021 · 1 min read

जीवन है चलने का नाम

जीवन है चलने का नाम
*******************
जीवन है चलने का नाम,
चलते रहो सुबह व शाम।
अपने को बूढ़ा न समझो,
अपने को कूड़ा न समझो।
करते रहो नित्य अपने काम,
जीवन है चलने का ही नाम।।

गीत चुटकले सबको सुनाओ,
जो आता है उसको ही सुनाओ।
आप हंसो सबको भी हंसाओ,
जीवन में किसी को न रुलाओ।
पर खाने पर रक्खो तुम लगाम,
जीवन है चलने का ही काम।।

करो न तुम खालीपन महसूस,
करो ने तुम भारीपन महसूस।
कभी न अपने को अकेला छोड़ो,
छोटे बच्चों से अपना नाता जोड़ो।
खेलो उनके साथ सुबह व शाम,
जीवन है चलने का ही नाम।।

सुबह शाम तुम सैर को जाओ,
जीवन का तुम ये नियम बनाओ।
खुले पार्क में तुम रोजाना जाओ,
हल्का फुल्का व्यायाम कर आओ
जीवन में इसका न होवे विराम,
जीवन है चलने का ही नाम।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

नि: शब्द
नि: शब्द
Sonam Puneet Dubey
ನನ್ನಮ್ಮ
ನನ್ನಮ್ಮ
ಗೀಚಕಿ
प्रसव की प्रतीक्षा
प्रसव की प्रतीक्षा
Akash Agam
खेत खलियान
खेत खलियान
SATPAL CHAUHAN
आखिर क्या है दुनिया
आखिर क्या है दुनिया
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा जीने का तरीका
मेरा जीने का तरीका
पूर्वार्थ
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
Ajit Kumar "Karn"
! हिमालय हितैषी !!
! हिमालय हितैषी !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
3382⚘ *पूर्णिका* ⚘
3382⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
sp111 जो कहते हैं
sp111 जो कहते हैं
Manoj Shrivastava
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
Phool gufran
अड़चन
अड़चन
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
Shweta Soni
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
उन बातों को अब सहा नहीं जाता
उन बातों को अब सहा नहीं जाता
Jyoti Roshni
यूं फिसले है आदमी, ज्यों मुट्ठी से रेत
यूं फिसले है आदमी, ज्यों मुट्ठी से रेत
RAMESH SHARMA
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
Rituraj shivem verma
प्रेम।की दुनिया
प्रेम।की दुनिया
भरत कुमार सोलंकी
इतना भी अच्छा तो नहीं
इतना भी अच्छा तो नहीं
शिव प्रताप लोधी
कविता
कविता
Rambali Mishra
*दिल्ली*
*दिल्ली*
Pallavi Mishra
उम्मीद का दिया
उम्मीद का दिया
Dr. Rajeev Jain
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है - डी. के. निवातिया
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...