जीवन है अनमोल
जीवन है अनमोल और साॅंसें हैं सीमित
अतः ज़रूरी है सुकीर्ति कर लें हम अर्जित
करें न ऐसा काम कि जिससे छवि हो धूमिल
नेक कार्य में सदा-सर्वदा हों हम शामिल
ऐसे करें प्रयत्न कि जिनको लोग सराहें
बनकर मानव-रत्न हृदय-अम्बुधि अवगाहें
नरता के आदर्श बनें सत्पथ पर चलकर
न्याय-नीति-सच-शुचिता के साॅंचे में ढलकर
राग-द्वेष से बचें, सुनें निज अन्तस्तल की
रहें सदा सानन्द, न सोचें कतई कल की
सदा साथ रहता है सबके अन्तर्यामी
किसी अन्य के नहीं, बनें उसके अनुगामी
उससे विनय करें, हमको सन्मार्ग सुझाए
पथ प्रशस्त कर हमें लक्ष्य तक वह पहुॅंचाए
होती उसकी कृपा, तभी हम मंजिल पाते
वर्ना सारी उम्र भटकते ही रह जाते ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी