“जीवन सूना बिन तुम्हारें”
रूह का हर तार पुकारे,
जीवन सूना बिन तुम्हारे,
आ जाओ प्रियतम प्यारे,
कहाँ चलें गये करके किनारे,
कजरा रूठा, गजरा रूठा,
माँग का सिन्दूर भी रूठा,
रात – दिन मनवा यही पुकारे,
जीवन सूना बिन तुम्हारे,
चंचलता, चपलता सब खो गई,
रात की निन्दिया हवा हो गई,
करवट ले ले आहें भरती,
विरहा की अग्नि में मैं तो,
आठों पहर दीपक जो जलती,
व्याकुल मनवा यही पुकारे,
जीवन सूना बिन तुम्हारे,
तुम्हारी बातें याद बहुत आये,
रह – रहकर मुझे तड़पाये,
मेघा बरसे, फिर भी मैं प्यासी,
तन – मन की प्यास सताये,
कैसे काटू जीवन बिन तुम्हारे,
मेरा रोम – रोम यही पुकारे,
जीवन सूना बिन तुम्हारे,
बेरंग हो गया जीवन सारा,
कोई नज़र आता नहीं सहारा,
सब लोगों ने किया किनारा,
दुश्मन लगते यार – दोस्त सारे,
रो – रो मनवा यही पुकारे,
जीवन सूना बिन तुम्हारे,
नैनों से जो नैन मिलाये,
बाँहों में ले झूले झुलायें,
साँसों से मदिरा प्याले छलकाये,
होंठों से जो जाम पिलाये,
वो ख़ुमारी अब तक सताये,
देह की अग्न यही पुकारे,
जीवन सूना “शकुन” बिन तुम्हारे।।