*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
शीर्षक – जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले
लेखक – डॉ. अरुण कुमार शास्त्री – पूर्व निदेशक
वह मृत्युभय से, तो भाई सबको डराता है ।
कोई भी अवस्था हो , कोई भी पल हो ।
एक इन्सान इस बात को कहां भूल पाता है।
कभी अपने अनुभव, कभी दूसरों के कष्ट,
देख -देख , स्वप्न में भी मनुष्य डर जाता है ।
वह मृत्युभय से, तो भाई सबको डराता है ।
कहने को कहना पड़ता है अरे वह इंसान कैसा ,
जो चुनौतिया आने पर उनका सामना नहीं करता ।
जीवन में कई विकल्प हैं , उनका प्रयोग नहीं करता।
किसी दी गई स्थिति के लिए , कमजोर पड़ जाता है।
लेकिन एक कठिन स्थिति में यह तो बिलकुल स्पष्ट है।
इसका रोमांच इसका रहस्य ही तो जीवन मकरंद है ।
और यह वास्तव में इस विचार से रोमांचित हो जाता है।
जीवन का सच्चा आनंद तो आश्चर्य में ही मिल पाता है ।
एक अचानक सा पहलू, एक सुंदर अवसर असमंजस का ।
वह मृत्युभय से, तो भाई सबको डराता है ।
मैं आपसे विलग कहां , मैं आपका ही प्रतिरूप हूं ।
मैं जीवन में करो या मरो की स्थितियों का जागता रूप हूं।
ये पहलू आप भिन्न भिन्न परिस्थितियों में पा चुके हैं ।
उस समय आपके निर्णय आपके जीवन मंत्र स्वरूप हैं।
जो जीवन में कभी नहीं हुआ, लेकिन अब हुआ अजब हुआ।
क्योंकि जीवन पहले एक चुनौती है, फिर एहसास है ।
यही जीवन की परिणीति है यही बात बहुत खास है।
पहले सवाल आता है बाद में उत्तर बताता है ईश्वर ऐसे ही सिखाता है ।
पल – पल इसी प्रकार ये एहसास एक अभ्यास तजुर्बा बन जाता है।
वह मृत्युभय से, तो भाई सबको डराता है ।
कोई भी अवस्था हो , कोई भी पल हो ।
एक इन्सान इस बात को कहां भूल पाता है।
कभी अपने अनुभव, कभी दूसरों के कष्ट,
देख -देख , स्वप्न में भी मनुष्य डर जाता है ।
छोटे और आसान रास्ते, भ्रामक होते हैं बहुधा संकट में डाल सकते हैं।
लंबे रास्ते कष्टदायक मगर सजग , पल – पल रोमांच से भरे ।
वो आपको उनकी विविद्यता का दीदार कराना चाहता है ।
दूनिया के अजब अजूबों से आपको मिलवाना चाहता है ।
फिर आश्चर्य मिश्रित कांति का उदीयमान सूर्य प्रकट कर
हर्षित होते देखना चाहता है।
वह मृत्युभय से, तो भाई सबको डराता है ।
कोई भी अवस्था हो , कोई भी पल हो ।
एक इन्सान इस बात को कहां भूल पाता है।
कभी अपने अनुभव, कभी दूसरों के कष्ट,
देख -देख , स्वप्न में भी मनुष्य डर जाता है ।
लेकिन ईश्वर तो पिता समान अपने बच्चे को ऐसे ही सिखाता है।