Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2023 · 1 min read

जीवन सफर

मुक्तक
——–
राह है सुनसान उस पर, आज मेला भी नहीं है,
विकट मग के कंटकों को, हाल झेला भी नहीं है।
किंतु है विश्वास उस पर, जो जगत् निर्माण करता,
और कहता दिल मेरा फिर, तू अकेला भी नहीं है।।

– नवीन जोशी ‘नवल’

Language: Hindi
1 Like · 114 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नवीन जोशी 'नवल'
View all
You may also like:
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
कवि दीपक बवेजा
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
"जन्नत"
Dr. Kishan tandon kranti
परिंदा हूं आसमां का
परिंदा हूं आसमां का
Praveen Sain
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
पूर्वार्थ
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
भेड़चाल
भेड़चाल
Dr fauzia Naseem shad
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
आज के युग में नारीवाद
आज के युग में नारीवाद
Surinder blackpen
"Guidance of Mother Nature"
Manisha Manjari
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*कोई भी ना सुखी*
*कोई भी ना सुखी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ईश्वर से सुख-समृद्धि नहीं
ईश्वर से सुख-समृद्धि नहीं
*Author प्रणय प्रभात*
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सच समाज में प्रवासी है
सच समाज में प्रवासी है
Dr MusafiR BaithA
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
*बुरे फँसे कवयित्री पत्नी पाकर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
सूखा पत्ता
सूखा पत्ता
Dr Nisha nandini Bhartiya
बना एक दिन वैद्य का
बना एक दिन वैद्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
Atul "Krishn"
आओ ...
आओ ...
Dr Manju Saini
सबसे नालायक बेटा
सबसे नालायक बेटा
आकांक्षा राय
*तू भी जनता मैं भी जनता*
*तू भी जनता मैं भी जनता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सुख दुःख
सुख दुःख
विजय कुमार अग्रवाल
आज़माइश
आज़माइश
Dr. Seema Varma
तहरीर लिख दूँ।
तहरीर लिख दूँ।
Neelam Sharma
দিগন্তে ছেয়ে আছে ধুলো
দিগন্তে ছেয়ে আছে ধুলো
Sakhawat Jisan
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
तू शौक से कर सितम ,
तू शौक से कर सितम ,
शेखर सिंह
Loading...