जीवन सफर
मुक्तक
——–
राह है सुनसान उस पर, आज मेला भी नहीं है,
विकट मग के कंटकों को, हाल झेला भी नहीं है।
किंतु है विश्वास उस पर, जो जगत् निर्माण करता,
और कहता दिल मेरा फिर, तू अकेला भी नहीं है।।
– नवीन जोशी ‘नवल’
मुक्तक
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राह है सुनसान उस पर, आज मेला भी नहीं है,
विकट मग के कंटकों को, हाल झेला भी नहीं है।
किंतु है विश्वास उस पर, जो जगत् निर्माण करता,
और कहता दिल मेरा फिर, तू अकेला भी नहीं है।।
– नवीन जोशी ‘नवल’