जीवन संग्राम के पल
मां बापू का आशीर्वाद
भगवान का वरदान
जीवन की सच्चाई
संग्राम के पल।।
धीरे धीरे बढ़ाता पड़ता जीवन
अर्थ का अथर्व पल।।
सामाजिक अच्छाई, कुटिलता
नीति ,नियत के जाने कितने पल।।
पड़ता ,लिखता ,बढ़ाता जाने कब
कहां खो गया बचपन नोक
झोक अभिमान का वह पल।।
हठ करता जो भी मिल जाता
उसी पल खुशियों का वह पल।।
मा बापू को जाहे जो भी पड़ता
करना मेरा हठ हँसी ठिठोली
खुशियो का पल था रहना।।
किशोर जवानी का पल जिम्मेदारी
जिम्मा का जीवन के संग्राम का सच देखता सिखाता पल।।
संघर्ष, परीक्षा ,परिणाम के पल
आशा और निराशा के पल
जीवसं की सच्चाई का पल पल।।