💐प्रेम कौतुक-305💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
-- लगन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मेरी मोहब्बत का उसने कुछ इस प्रकार दाम दिया,
विश्व शांति की करें प्रार्थना, ईश्वर का मंगल नाम जपें
‘’The rain drop from the sky: If it is caught in hands, it i