जीवन रंगमंच
तीन विधाओ का नया प्रयोग
विधा – छंदमुक्त कविता
1
दुनिया है
एक रंगमंच
खेल खिलाता है
ईश्वर
कभी खुशी
तो कभी गम
कभी गैर अपने
कभी अपने पराये
विधा – पिरामिड
2
है
मंच
जीवन
खिलवाड़
खुशी गमों से
इन्सान लाचार
कठपुतली तन
3
मुक्तक
राजनीति है
रंगमंच
हर पांच साल में
शतरंज खेल
सज कर तैयार
चुनावी मंच
जनता को मौका
वोट करें सब
नहीं खाएंगे धोखा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल