जीवन ये हर रंग दिखलाता
जीवन ये हर रंग दिखलाता
हर्ष तो कभी दर्द दे जाता
पाठशाला ये है अनोखी
सबकी धैर्य परीक्षा होती।
है सफल वही गुणीजन बड़ा
परिश्रम जिसके हाथों जड़ा
थककर कभी न तुम हारना
लक्ष्य को ही सर्वोच्च मानना
आयु निशा की विरले होती
अँधियारी,अज्ञानता की सी
दीप ज्ञान श्रम का जलाना
आलोक सम्मुख सर्वत्र पाना
भय तो कभी राह भटकाता
चलते हुये पग रुक जाता
मार्ग में अवरोध सा भरा
हॄदय में धर साहस बड़ा
पग को न यूँ डगमग करना
नव उत्साह तब स्वयं में भरना
शूल पथ से छँट जायेंगे
इक नई राह दिखलायेंगे।।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक