जीवन में
है
जीवन
क्षणभंगुर
कर्म प्रधान बनों
जीवन में
है
सीमित
जीवनधारा
लक्ष्य पाओ
जीवन में
करों सेवा
बेसहारों की
बनों सहारा
बुजुर्गों के
है पूंजी
उनका आशीर्वाद ही
जीवन में
रखो
घर परिवार को
सुखी स्वस्थ
और प्रसन्न
है यही कमाई
जीवन में
दिया है ईश ने
मानव जीवन
न जाये ये व्यर्थ
कर्म स्थली है
ये जीवन
ईमानदार मेहनती
बनों जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल