जीवन में निष्ठा
दिनांक 27/4/19
विधा – पिरामिड वर्ण
है
निष्ठा
ऐ माता
हो कल्याण
वंदन वंदना
दंडवत प्रणाम
छंदमुक्त कविता
रखें निष्ठा अपने मौला पर
रहेगा साथ साये सा
फकीर ने खोल दी छोली
नियामत बरसी दुनियाँ पर
गर रहेगा इंसा मेहनतकश
चलेगा दीन ईमान पर
रहेगी रहमत उस मौला की
बने रहे बस निष्ठावान
रहेगी निष्ठा जब ईश पर
बनेंगे सब बिगड़े काम
राह बनेगी आसान
छूऐगा सफलता के कदम इन्सान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल