जीवन पथ प्रदर्शक- हनुमान जी
हनुमान जी भारतीय समाज के साथ साथ विश्व भर में पूज्य हैं
हनुमान जी न केवल भगवान राम के भक्त हैं बल्कि वह जन मानस के संकटमोचक, रोग-दुख नाशक भी है ।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के साथ-साथ हनुमान चालिसा, हनुमान बाहुल और बजरंग बाण की भी संरचना की है, जिसका नियमित पाठ करके मानव संकटों से अपनी रक्षा करता है
हनुमान चालिसा का महात्म्य बहुत अधिक है । इसका पाठ करते समय ही हमें राम भक्त हनुमान जी की शक्ति और पुरूषार्थ का आभास होता है ।
हनुमान चालिसा जहाँ हमें आनन्द देता है वहीं उससे तत्काल फल भी प्राप्त होता है ।
हनुमान जी की कीर्ति तीनों लोकों में है :
” जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपिस तिहुं लोक उजागर ”
हनुमान जी के रूप की प्रशंसा करते हुए उल्लेख है:
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल किंचित केसा ”
याने आप सुनहरे रंग, सुन्दर वस्त्रों , कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं ।
हनुमान जी शंकर जी के अवतार हैं, इसी कारण उनमें महान पराक्रम और यश है, इसीलिए सम्पूर्ण जगत उनकी निरंतर वन्दना करता है :
” शंकर सेवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन ”
हनुमान जी अपने स्वामी श्री राम की सेवा सदा तत्पर रहते हैं , इसी कारण वह राम जी के परम प्रिय है :
“लाय संजीवन लखन जियाये
श्री रघुवीर हरषि उर लाये ”
हनुमान जी के त्याग, परम गुणों के कारण सभी उनके गुणों का बखान करते हैं
” सनकादिक ब्रहमादि मनीषा
नारद , सारद सहित अहीसा ”
हनुमान जी ने नि:स्वार्थ भाव से सभी का मार्गदर्शन किया , यथासंभव सहयोग दिया और सहायता की :
” तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राजपद दीन्हा। ”
इसी तरह उन्होंने विभीषण को भी सहयोग दिया और राम की शरण में स्थान दिलवाया ।
हनुमान जी की शरण में जो भी जन आता है, उस परम आनन्द प्राप्त होता है, क्यों कि फिर उसे जगत में किसी का डर नहीं रहता है ।
” सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काजू को डरना ”
हनुमान जी के स्मरण से भूत पिशाच का भय दूर हो जाता है ।
मानव जीवन से संकट और पीड़ा दूर हो जाती है :
” संकट कटे मिटे सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ”
माता सीता ने आपको आठों सिद्धियां
यथा :
अणिमा – इसमें साधक किसी को दिखाई नहीं देता और पृथ्वी आकाश पाताल में प्रवेश कर सकता है ।
महिमा – इसमें साधक अपने को बहुत बड़ा बना लेता है
गरिमा – इसमें साधक अपने को जितना चाहे भारी बना सकता है
लघिमा – इसमें साधक अपने हल्का बना सकता है
प्राप्ति – इसमें साधक इच्छित वस्तु की प्राप्ति कर सकता है
प्राकाम्य- इसमें साधक इच्छा के अनुसार आकाश में उड़ान भर सकता है और पृथ्वी में समा सकता है
ईशित्व – इसमें साधक को सब पर नियंत्रण और शासन करने की सामर्थ्य आ जाती है
वशित्व – इसमें साधक को दूसरों को वश में करने की शक्ति आ जाती है ।
इस तरह से माता सीता ने हनुमान जी को शक्तियां दी
” अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता ”
हनुमान जी की अराधना करने से मानव में साहस, पराक्रम, निडरता आती है क्योंकि हनुमान जी अपने सज्जनों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं
” साधु संतों के तुम रखवाले
असुर निकंदन राम दुलारे ।”
हनुमान चालिसा का महात्म्य ऐसा है कि जो भी नियमित इसका पाठ करता है उसे सभी स्थानों पर सफलता मिलती है और वह सब बंधनों से छूट जाता है ।
हर व्यक्ति को निष्काम भाव से प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करना चाहिए ।
आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाने और उन्हें जीवन में सफलता पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करने हेतु प्रेरित करना चाहिए ।
क्योकि तुलसीदास जी ने लिखा भी है :
” जो यह पढ़े हनुमान चालिसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजिए नाथ हृदय मॅह डेरा”
कलयुग में जीवन से तरने और मोक्ष प्राप्त करने का सरल , सर्वमान्य उपाय हनुमान चालिसा का नियमित पाठ करना है ।
लेखक
संतोष श्रीवास्तव