जीवन पथ पर सब का अधिकार
जब एक लड़की घर से निकलती है
तो सच है वो सिहर जाती है
भूखे भेडिए उसे नोचने को आतुर हैं
उनकी पल भर में हवस उठ जाती है !!
क्या लड़की पर यह नजर अच्छी है
घर जाकर देखो वहां भी तुम्हारी बच्ची है
कल वो भी बड़ी होकर घर से जाएगी
वहां यह सब हो, तो क्या यह बात अच्छी है !!
नजर को उठा कर यह इल्जाम न लों
गिरती हुई जिदगी का जीवन संवार दो
आज अगर हम न हो सके किसी के
तो फिर मेरे दोस्तों यह दाग अपने साथ न लों !!
जीवन पथ पर चलना सब का अधिकार है
गलत न करना यह जी का जंजाल है
खुली हवा में सांस लेने दो सबको
यह भगवान् का दिया हुआ , संसार है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ