जीवन नहीं सरल।
एक रचना के माध्यम से जन जन से मार्मिक अपील।
उदयाचल से अस्ताचल तक घर से नहीं निकल,
बहुत कठिन है दौर ये बन्दे जीवन नहीं सरल।
रूप बदल अदृश्य असुर जन जन को रहा है छल
सृष्टि बचाने की खातिर सब शिव बन पियें गरल
बहुत जरूरी हो गर जाना संभल-संभल कर चल
दो गज दूरी मास्क जरूरी धो लेवें करतल।
उदयाचल से अस्ताचल तक घर से नहीं निकल,
बहुत कठिन है दौर ये बन्दे जीवन नहीं सरल।
कौन हारता जंग, जीत कर होता कौन सफल
स्वजन विदा कर रहे सभी जन भर नैनों में जल
नहीं देख सकते जन जन को होते हुये विकल
जो संभव हो करें मदद सब ईश्वर देंगे फल।
उदयाचल से अस्ताचल तक घर से नहीं निकल
बहुत कठिन है दौर ये बन्दे जीवन नहीं सरल।
प्रेरित कर भेजें जन जन को हम टीका स्थल,
जीवन रक्षक वैक्सीन हो सबके लिए सरल
कठिन प्रश्न को भी कर लेंगे मिलकर हम सब हल
निश्चित होगी विजय हमारी ध्यान रखें हर पल।
उदयाचल से अस्ताचल तक घर से नहीं निकल
बहुत कठिन है दौर ये बन्दे जीवन नहीं सरल।
अनुराग दीक्षित
कासगंज