जीवन तो एक विरल सफर है
विकट स्थल है कठिन डगर है
जीवन तो एक विरल सफर है
साथ खड़े दिखते हैं सारे
पड़े वक़्त छुप जाते सारे
ढूँढे नहीं मिलते हैं सहारे
सबको बस अपनी ही फिक्र है
एक अकेला जो चलता है
वही भाग्य को बदलता है
आगे वही तो निकलता है
जिसको पल-पल की कद्र है
क्यों हौंसला नहीं रखते हो
बैसाखी को क्यों तकते हो
जिसका तुम नाम जपते हो
कर्म करो फिर उसकी मेहर है
‘V9द’ यहाँ है चलते रहना
जीवन है सरिता सा बहना
कष्ट मिले सहज ही सहना
पथिक वही मंजिल पे नजर है
स्वरचित
V9द चौहान