“जीवन-ज्योति”
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चाहें आंधी आये या तूफान!
रहेंगे हम! अपने पथ पर शांत!!
दे जाओं हमें, जीवन-पथ ज्ञान!
पा लेते हैं जो, स्वर्ग-लोक मृत्युपरांत!!
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जीवन-पथ से विचलित, हम अज्ञानी हैं!
हैं तुम से ही आशा, ना करना निराश हमें!!
तुम पूज्य हो हमारें, तुम महाज्ञानी हो!
इन पावन चरणों में दे दो स्थान हमें!!
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तुम तो, तुल्य हो परमात्मा के ही!
तुम कल्याणकारी हो, हो तुम ज्ञान-दीप!!
तुम्हारें पावन चरणों में आ गिरे हम!
प्रज्ज्वलित कर दो- हमारा जीवन-दीप!!
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हैं तुम्हारें पास इतना ज्ञान-कोष!
थी नहीं हमको पहचान तुम्हारी!!
तुम्हें! इस धरती का बोझ समझे थे!
जो थी महाभूल भारी ये हमारी!!
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तुम महानुभावों के संस्कार से ही!
होगा हमारें जीवन का कल्याण!!
फिर समय न देगी “मृत्यु” तुम्हें!
तुम पूरे कर जाओं, हमारे अरमान!!
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बुद्धि-जीव के नाते- “जीवन-ज्योति”!
दे जाओं हमें, हैं जीवन हमारा अंधकार!!
शायद! अभी समय शेष हो तुम्हारे पास!
तुम कर जाओं हमारा– स्वप्न-साकार!!
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल=
===*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*====
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