जीवन जितना होता है
जीवन जितना होता है
कोई उतना कहां जी पता है
कभी भाग्य कभी अकर्मण्यता
रोना यही रह जाता है
मन के अंतस में आशाओं का
कोई भाव है निरूत्तर रह जाता है
समय के चलते चक्रव्यूह में
कोई ठहर कहां पता है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
जीवन जितना होता है
कोई उतना कहां जी पता है
कभी भाग्य कभी अकर्मण्यता
रोना यही रह जाता है
मन के अंतस में आशाओं का
कोई भाव है निरूत्तर रह जाता है
समय के चलते चक्रव्यूह में
कोई ठहर कहां पता है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद