जीवन चक्र
कखनो जीवन बसंत बनि बरसतै…
कखनो इ पतझड़ बनि झहरतै…
कखनो पूर्णिमा रैतक चान जकां…
सब संताप हैर लेतै…
कखनो अमावस के स्याह रैत बैन डरौतै…
इ क्रम त अहिना चलिते रहतै…
अनवरत…. ✍️
कखनो जीवन बसंत बनि बरसतै…
कखनो इ पतझड़ बनि झहरतै…
कखनो पूर्णिमा रैतक चान जकां…
सब संताप हैर लेतै…
कखनो अमावस के स्याह रैत बैन डरौतै…
इ क्रम त अहिना चलिते रहतै…
अनवरत…. ✍️