Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2021 · 1 min read

जीवन चक्र

कखनो जीवन बसंत बनि बरसतै…
कखनो इ पतझड़ बनि झहरतै…
कखनो पूर्णिमा रैतक चान जकां…
सब संताप हैर लेतै…
कखनो अमावस के स्याह रैत बैन डरौतै…
इ क्रम त अहिना चलिते रहतै…
अनवरत…. ✍️

Language: Maithili
2 Likes · 2 Comments · 365 Views

You may also like these posts

सीता स्वयंवर (सखी वार्ता)
सीता स्वयंवर (सखी वार्ता)
guru saxena
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
डॉ. शिव लहरी
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बरसात और तुम
बरसात और तुम
Sidhant Sharma
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
Sonam Puneet Dubey
प्रेरणा
प्रेरणा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पनौती
पनौती
आकाश महेशपुरी
एक सरल प्रेम की वो कहानी हो तुम– गीत
एक सरल प्रेम की वो कहानी हो तुम– गीत
Abhishek Soni
लक्ष्य
लक्ष्य
Mukta Rashmi
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पुनर्जागरण काल
पुनर्जागरण काल
Dr.Pratibha Prakash
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
जिल्लत और जुल्मों का जब दाब बढ़ जायेगा।
Rj Anand Prajapati
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
दुनियादारी
दुनियादारी
श्रीकृष्ण शुक्ल
आइए मेरे हृदय में
आइए मेरे हृदय में
indu parashar
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
पूर्वार्थ
श्रीगणेशा!आमंत्रण मेरा स्वीकार करो
श्रीगणेशा!आमंत्रण मेरा स्वीकार करो
Sudhir srivastava
"डिब्बा बन्द"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी दिखाएँ आँख
कभी दिखाएँ आँख
RAMESH SHARMA
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
पंकज कुमार कर्ण
.
.
Shwet Kumar Sinha
4212💐 *पूर्णिका* 💐
4212💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बसा के धड़कन में प्यार तेरा पलक भी सपने सजा रही है ।
बसा के धड़कन में प्यार तेरा पलक भी सपने सजा रही है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
"नारियल खोपड़ी से टकराए या खोपड़ी नारियल से, फूटना खोपड़ी को ही
*प्रणय*
మనిషి ఓ మరమనిషి తెలుసుకో ఈ ప్రపంచపది..
మనిషి ఓ మరమనిషి తెలుసుకో ఈ ప్రపంచపది..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मन
मन
Uttirna Dhar
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
Piyush Goel
Loading...