जीवन-गीत
जीवन-गीत
बाँसुरी की तरह है ये जीवन
खुद में खाली और शून्य
लेकिन उसमें है
संगीत का अपरिसीम सामर्थ्य
समय भागा जा रहा
अपनी बाँसुरी उठा लो
अवसर बीत न जाए
तुम अपना जीवन-गीत गा लो।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
जीवन-गीत
बाँसुरी की तरह है ये जीवन
खुद में खाली और शून्य
लेकिन उसमें है
संगीत का अपरिसीम सामर्थ्य
समय भागा जा रहा
अपनी बाँसुरी उठा लो
अवसर बीत न जाए
तुम अपना जीवन-गीत गा लो।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति