जीवन क्षणभंगुर
जीवन क्षणभंगुर
है तारीफ़
तभी
इन्सान की
बात कहे
वो संक्षिप्त
लेकिन हो वो
सारगर्भित
है जीवन
क्षणभंगुर
लघु और
अनिश्चित
जितना
समय बीते
परमार्थ में
बस उतना
ही है
सार्थक
जीवन अपना
रखो
मत लघु
मानसिकता
अपनी
मिलो
सभी से
खुले दिल से
चला जाऐगा
तू एक दिन
संसार से
बस रह जाएंगी
यादें अच्छी
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल