जीवन क्या है
जीवन क्या है
मुझे तो समझ नहीं आता
क्या कोई मुझे इसके बारे में
समझायेगा
जीवन मिला हुआ है
जीवन जी रहे हैं
तीन समय का भोजन जुटाने के लिए
सुबह से लेकर रात तक
जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं
रोज सुबह उठना
हर हाल में एक नायाब तोहफा है
जो किस्मत वालों के ही नसीब में
होता है
उसके लिए दिल से खुदा का
शुक्रिया
दिन भर खटते रहो
रात को थक हार कर सो
जाओ
हर रोज यही दिनचर्या और
एक दिन कोई पल ऐसा भी कि
जीवन खत्म
जीवन में इतने ताने बाने बुने
जीते रहे पर
क्या इसे जीना कहते हैं
आखिर में पाया क्या जीवन में
एक कतरा मोहब्बत भी
नसीब नहीं हुई
जिधर देखो
बस एक मायूसी की लहर
गहन सन्नाटा
बेरुखी का आलम
दम घोटता एक वातावरण
काले बादलों से घिरा आकाश
कोई उम्मीद नहीं
कोई रात ऐसी भी
होती है जिसकी कोई
सहर नहीं
न वफा मिली
न कोई कहने को अपना
जिंदगी मिली
जीते रहे पर हासिल कुछ नहीं
आखिर में
मंजिल पर खड़ी मौत मिली
बस एक मौत सच्ची थी
वफादार थी
अदब से उठकर इससे मुझे
इज्जत से गले तो कम से कम
लगाया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001