Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2021 · 1 min read

जीवन क्या है

जीवन क्या है, है एक नाव
इसमें रखना होगा तुझे पांव

ना चलेगा कोई बहाना
खुद अपनी राह बनाना
जीवन पथ पर चलते जाना
हंसना और हंसाते जाना
जीवन क्या है, है एक नाव
इसमें रखना होगा पांव

रोकेगा तुझे सारा ज़माना
तुझे होगा दिल को समझाना
मुश्किलों को अपना बनाना
दीपक बनकर रौशनी फैलाना
जीवन क्या है, है एक नाव
इसमें रखना होगा तुझे पांव

Language: Hindi
1 Like · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेफिक्री की उम्र बचपन
बेफिक्री की उम्र बचपन
Dr Parveen Thakur
आप जिंदगी का वो पल हो,
आप जिंदगी का वो पल हो,
Kanchan Alok Malu
विद्या-मन्दिर अब बाजार हो गया!
विद्या-मन्दिर अब बाजार हो गया!
Bodhisatva kastooriya
अधूरी
अधूरी
Naushaba Suriya
माँ की दुआ
माँ की दुआ
Anil chobisa
सेवा
सेवा
ओंकार मिश्र
उदासी
उदासी
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
किसी की तारीफ़ करनी है तो..
किसी की तारीफ़ करनी है तो..
Brijpal Singh
My love at first sight !!
My love at first sight !!
Rachana
*मित्र*
*मित्र*
Dr. Priya Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
Rj Anand Prajapati
जय शिव-शंकर
जय शिव-शंकर
Anil Mishra Prahari
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
Vishal babu (vishu)
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
Phool gufran
मुझको जीने की सजा क्यूँ मिली है ऐ लोगों
मुझको जीने की सजा क्यूँ मिली है ऐ लोगों
Shweta Soni
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
"गुलामगिरी"
Dr. Kishan tandon kranti
"मनुज बलि नहीं होत है - होत समय बलवान ! भिल्लन लूटी गोपिका - वही अर्जुन वही बाण ! "
Atul "Krishn"
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
नेताम आर सी
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
बना एक दिन वैद्य का
बना एक दिन वैद्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
■दोहा■
■दोहा■
*प्रणय प्रभात*
छल ......
छल ......
sushil sarna
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
Manisha Manjari
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
2298.पूर्णिका
2298.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मां तुम्हें आता है ,
मां तुम्हें आता है ,
Manju sagar
Loading...