जीवन के साल
कितने कम रह गये जीवन के अब ये साल।
अच्छा ही अच्छा कर,रहे न कोई मलाल।
लहज़ा नरम रहे तेरा,अच्छे हो संस्कार
परवरिश पर तेरी ,उठे न कोई सवाल।
स्त्री का आदर सदा हो,अपनी हो या ग़ैर
सच का सदा साथ दो,मचे न कोई बवाल।
प्यार का रंग बरसा तू,सब लोगन के साथ
होली पर चाहे तू , उड़ा न कोई गुलाल।
रुह की सिलवटें दूर कर,आसां हो जाये जीना
थोड़े दिन जो है बचे,कर तू कोई कमाल।
सुरिंदर कौर