जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में ,कितने है हम अकेले
कैसे निपटें इससे, नित नये है यहां झमेले
बात गैरों की नहीं , मारा है हमें अपनों ने
चंद झूठे वादे , और टूटे हुए सपनों ने
लोग बात बात पर, कसा करते हैं ताने
ग़म नहीं कोई , इनसे नाते है पुराने।
जिंदगी की जंग , जीतेंगे आखिर कैसे
गुनाह हमने कल लिए है बहुत ऐसे वैसे
हर नयी राह ,तुझको खुद ही है बनानी
हौंसला रख , फिर जिंदगी कैसे करें मनमानी
सुरिंदर कौर