जीवन के गीत
मन अगर बैचेन है
तो गीत गा लूँगा
गीत गाकर के ,
उमंगों को जगा लूंगा,
गम के बादल घिरे है ,
बिजली कड़कती है ।
मै मगर ,उम्मीद का इक
सूरज उगा लूंगा ।
बहारों से मिलने को ,
यह दिल बेकरार है ।
मै पतझर में बहार के,
सपने सजा लूंगा।
देह कुछ थकी है,
पर मन है जवा- जवा ।
दिल की सरगम से ,
जीवन के गीत बना लूंगा ।