जीवन की वास्तविकता
जब
भोर हो रही है
लेकिन।।।
केवल हमारे सपने
भोर नहीं हो रही है
हमारे सपने
रात में बेहोशी
सुबह के समय
झपकी लेता है झपकी
क्या करें?
वास्तविक जीवन
बस एक सपना
जियो और देखो
सिर्फ हमारे लिए
इच्छा क्या है?
फिर भी।।।
हमारे सपने
भले ही आप रॉकेट पर उड़ते हों
नहीं तो
भले ही आप हेलीकॉप्टर से उड़ते हों
हम अभी भी हैं
बाइक पर सवार
मवेशियों की तरह
सिर्फ दो पैरों से नहीं
कभी कभी
हाथों से
हम चल रहे हैं
हमारी गरीबी रहती है
साप्ताहिक + मासिक + वेतन की प्रतीक्षा कर रहे हैं
रोज चल रहा है
केवल सपनों में
हंसना और मुस्कुराना
यादों की वास्तविकताओं में
वे रोज रो रहे हैं…
+ ओट्टेरी सेल्वा कुमार