जीवन की राहें पथरीली..
जीवन की राहें पथरीली..
हर पल इक नया झमेला है!
तू इकलौता बर्बाद नहीं..
यहां हर एक शख्स अकेला है!
ये चंद मिनट की मायूसी..
पर सबक बड़ा अलबेला है!
इस भीड़ में अपना कोई नहीं..
ये अनजानों का मेला है!
फिर कहे भला तू क्यूं आखिर..
तेरा ही घर आबाद नहीं!
हर कोई यहां अकेला है..
तू इकलौता बर्बाद नहीं!
ये बात बहुत मामूली है..
पर इतना भी अनजान ना बन!
तू कोई हकीकत जिंदा है..
तू गैरों की पहचान ना बन!
तू छोड़ दे दामन औरों का..
तुझमें भी साहस फैला है!
तेरे अन्दर का बच्चा भी..
इन तूफानों से खेला है!
लिख नई इबारत तू अपनी..
तू स्याही है ,कोई दाग नहीं!
हर कोई यहां अकेला है..
तू इकलौता बर्बाद नहीं!
#प्रिया मैथिल✍