***जीवन की बगिया खिलती रहे***
जीवन की बगिया,खिलती रहे।
चली है दुनियां और चलती रहे।।
मानवता यहां पे पलती रहे।
शत्रुता मन से टलती रहे।।
*हंसी खुशी में जीना भी,
जिंदगी का ढ़ंग है।
सुख दुख दोनों के ही,
अपने अपने रंग है।।
सब रंग में जीना, तान के सीना,
बदलती है किस्मत,बदलती रहे।
**जीवन की बगिया खिलती रहे**।
*फूल के संग में कांटे भी तो,
कुदरत ने ही बांटे है।
कभी सभी का साथ है मिलता,
एकाकी में भी पल अनेकों काटे है।।
न थकना,चलना संभलना,
जिंदगी बनती,संवरती रहे।
**जीवन की बगिया खिलती रहे**।
राजेश व्यास अनुनय