“जीवन की परिभाषा”
जीवन की परिभाषा ,
धुमिल होती जाती है |
अधियारा उजाले पर ,
हर पल छाता जाता है|
कोई करे उद्धार हमारा,
मानव निश दिन खोता जाता है |
स्वार्थ का तांडव ,
हर दिशा दिखाई देता है |
आदर्शों की शिक्षा,
व्यर्थ दिखाई देती है |
जीवन की परिभाषा ,
धुमिल होती जाती है|
सत्कर्मो से दूरी ,
हर क्षण बढती जाती है|
सिद्धांतहीन जीवन ,
हर तरफ दिखाई देता है |
फूलों को अब ,
काँटो सी चुभन होती है |
कलियों को अब,
हर पल विपद्द दिखाई देती है|
जीवन की परिभाषा ,
धुमिल होती जाती है |
…निधि…