जीवन की अफरा तफरी
जीवन जीना एक कला है
हर व्यक्ति प्रकति में ढला है
अच्छी बुरी कड़ियों से जुड़ा है
इसी अफरा तफ़री में
पल पल जला है
जीवन जीना एक कला है
गिरा ठोकरों से,सम्भलना भी सीखा,
खड़ा हो गया और फिर से चला है
“जीवन जीना एक कला है”
था पथ जिंदगी का भरा मुश्किलों से
फिर भी कभी भी कहीं न रुका है
क्योंकि ये मानव नही है
यह एक बला है
जीवन जीना एक कला है
देखा पलट कर के,जीवन के पीछे
कमियां बहुत थी,मेरी जिंदगी में
लड़कपन से लेकर,जवानी गंवाया
जवानी से होकर,बुढापे में आया
बस यहीं तक मेरा सफर है
बुढापा भी मेरा बहुत मन चला है
क्योंकि ये वो बुढापा है
जो जवानी से लड़ा है
जीवन जीना एक कला है
आशीष सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश