जीवन का रंगमंच
रंग के संग ,
संगत करके ,
तैयार होता है ,
एक मुखौटा,
उसमें, फिर,
स्पर्श होता है ,
भावना और ,
संवेदना का ,
फिर ,
एक कहानी से ,
जुड़कर,
जीवंत होता है ,
मुखौटा,
देखने वाले ,
फिर ,मुखौटे से ही,
पहचान लेते हैं,
रंगमंच के ,
कलाकार को ।
हर ,मुखौटे पर,
अंकित होती है ,
कोई धड़कन,
और ,वो ,
सजीव न होकर ,
के भी ,
रंगमंच को ,
करता है ,
एकदम जीवंत ।