जीवन का मकसद क्या है?
जीवन का मकसद क्या है?
किसको इस बात की परवाह है,
अपनी ही चिंता मे डूबे है सब,
स्वार्थ सिद्धी ही एक कार्य है अब,
अपना उल्लू सीधा हो जाये,
व्यर्थ मे औरो के लिए परेशान आप ।
जीवन का मकसद क्या है?
अंधे के पीछे अंधा चलता जाये,
राह कैसा भी हो अपना भला हो जाये,
चिंतन किये बगैर भागा जाये,
औरो से आगे स्वयं आना चाहे
स्वार्थ परता के भाव हृदय मे उपज जाये।
जीवन का मकसद क्या है?
बढ़ते हुए के मार्ग मे बाधा बन जाओ,
अपनी जान बचा कर किसी अपने को जुझाओ,
सुख शांति को त्याग कर,
फिजूल अपने जीवन का समय नष्ट करे,
बिन मकसद के अमूल्य जीवन जिये जाए।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर ।