Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

“जीवन का आनन्द”

“जीवन का आनन्द”
लम्बे और कठिन रास्ते पर होते
जीवन के सारे आनन्द
लेकिन मंजिल कुछ नहीं जानती
आनन्द और रास्तों के बारे में
क्योंकि मंजिल नशे में चूर होती है।

3 Likes · 2 Comments · 83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
किसी न किसी बहाने बस याद आया करती थी,
किसी न किसी बहाने बस याद आया करती थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
एक रचयिता  सृष्टि का , इक ही सिरजनहार
एक रचयिता सृष्टि का , इक ही सिरजनहार
Dr.Pratibha Prakash
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
3443🌷 *पूर्णिका* 🌷
3443🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
पन बदला प्रण बदलो
पन बदला प्रण बदलो
Sanjay ' शून्य'
"परवाज"
Dr. Kishan tandon kranti
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
sushil yadav
सभी को सभी अपनी तरह लगते है
सभी को सभी अपनी तरह लगते है
Shriyansh Gupta
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
.*यादों के पन्ने.......
.*यादों के पन्ने.......
Naushaba Suriya
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
पूर्वार्थ
चाहे कितने भी मतभेद हो जाए फिर भी साथ बैठकर जो विवाद को समाप
चाहे कितने भी मतभेद हो जाए फिर भी साथ बैठकर जो विवाद को समाप
Ranjeet kumar patre
मेरा होना इस कदर नाकाफ़ी था
मेरा होना इस कदर नाकाफ़ी था
Chitra Bisht
🌺🌹🌸💮🌼🌺🌹🌸💮🏵️🌺🌹🌸💮🏵️
🌺🌹🌸💮🌼🌺🌹🌸💮🏵️🌺🌹🌸💮🏵️
Neelofar Khan
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
Rj Anand Prajapati
*जो खान-पान में चूक गया, वह जीवन भर पछताएगा (राधेश्यामी छंद
*जो खान-पान में चूक गया, वह जीवन भर पछताएगा (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
शैव्या की सुनो पुकार🙏
शैव्या की सुनो पुकार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका 2024 की समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
सिद्धार्थ
सिद्धार्थ "बुद्ध" हुए
ruby kumari
मैं अलग हूँ
मैं अलग हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मैं भारत का जन गण
मैं भारत का जन गण
Kaushal Kishor Bhatt
😊सनातन मान्यता😊
😊सनातन मान्यता😊
*प्रणय*
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
एक कुण्डलियां छंद-
एक कुण्डलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Since morning
Since morning
Otteri Selvakumar
Loading...