जीवन एक पहेली (चिन्तन)
लेता
जन्म मानव
कोरा कागज सा
जीवन
बढ़ती उम्र
उकेरती जाती
कभी लकीरे
कभी भरते रंग
नाम पाता
पहचान बनाता
कोरे कागज
पर बनती
जन्म कुंडली
लिखता
कोरे कागज पर
इम्तिहान
होता
सफल जीवन में
कमाता नाम पैसा
अंकूरित होता
पौधा प्यार का
बनता कोरा कागज
आधार प्रेम पत्र का
मिलते
दो तन मन
आपस में
बगिया में
खिलती बहार
है
अजब कहानी
तेरी
कोरा कागज
होता जब अंत
जीवन का
तूझ पर ही होता
शोक संदेश
समेटो
यादों को
दिल में
कोरे कागज को
रहने दो
कोरा कागज ही
जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल