जीवन उद्धार
जब से जीवन में आयीं,
तन मन मेरा चमन हो गया।
जीवन का यह कंटक वन अब,
गुल गुलशन गुलज़ार हो गया।।
चोटिल बोझिल से इस मन का,
उनसे मिल उपचार हो गया।
मन मरुथल का खाली घट अब,
मधुसागर संसार हो गया।।
मधुर मिलन की उस बेला से,
अब तक तय जो सफर हो गया।
सुंदर सुखद सुनहरे कल का,
हर सपना साकार हो गया।।
खट्टे मीठे अनुभव का कल,
नोंक झोंक से पार हो गया।
दुर्लभ दुर्गम दुःखद समय ही,
जीवन का आधार बन गया।
जनम जनम जीवन के पथ पर,
यदि उनसे हर मिलन हो गया।
मैं समझूँगा सफल हर जनम,
जीवन का उद्धार हो गया।।
…अशोक शर्मा