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22 May 2023 · 1 min read

जीवन आधार

फूल नर्म, नाजुक और सुगन्धित होते हैं
उनमें काँटों-सी बेरुखी कुरूपता और अकड़न नहीं होती

जिस तरह छायादार और फलदार वृक्ष
झुक जाते हैं औरों के लिए
उनमें सूखे चीड़-चिनारों जैसी गगन छूती
महत्वकांक्षा नहीं होती ।

क्योंकि ..
अकड़न बेरुखी और महत्वकांक्षा में
जीवन का सार हो ही नहीं सकता

जीवन तो निहित है झुकने में
स्वयं विष पीकर
औरों के लिए सर्वस्व लुटाने में

नारी जीवन ही सही मायनों में जीवनाधार है
माँ बहन बेटी पत्नी प्रेयसी आदि समस्त रूपों में
सर्वत्र वह झुकती आई है
तभी तो पुरुष ने अपनी मंजिल पाई है

उसने पाया है
बचपन से ही आँचल, दूध और गोद
ममता प्यार स्नेह, विश्वास वात्सल्य आदि

किन्तु सोचो..
यदि नारी भी पुरुष की तरह स्वार्थी हो जाये
या समझौतावादी वृति से निजात पा जाये

तो क्या रह पायेगा आज
जिसे कहते हैं पुरुष प्रधान समाज ।

Language: Hindi
1 Like · 104 Views
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