जीवनसाथी
वह रात सुहानी रात थी
जिसमें आए थे अनेक बराती
उनसे क्या मुझको लेना देना
मेरा तो केवल एक ही था साथी
वह बना मेरा जीवन साथी।
गठबंधन का पवित्र धागा
जब से मेरे गले में डाला।
मैं बनी उनकी जीवनसंगिनी
वह बन गए मेरे जीवन साथी।
तब से साथ चले हम दोनों
प्रेम हमारा गाढ़ा होता गया।
एक दूसरे का मान बढ़ायें
बने रहे दुख सुख के साथी।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’