जीने से मरना आसान
**जीने से मरना लगता आसान है***
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बुरा वक्त जो आया है चला जाएगा,
अंधेरों के बाद ही उजाला आएगा,
दोस्तों रूपी पूंजी का असर तो देखिए,
दर्द ए दिल का आलम भी छूट जाएगा।
जीने से मरना लगता बहुत आसान है,
पर दुबारा मिलता नहीं हसीं जहान है,
हिम्मतों से सदा हैं जीतते मैदान को,
जो हार बैठते जान को वो नादान है।
दो जाम हो हो जाए यार संग प्यार के,
हम तो प्यासे है तेरे दर्शन दीदार के,
कट जाएगा उस दिन मुश्किल फासला,
जब कभी झोंके मिलेंगे ठंडी बयार के।
मनसीरत ने यह देखी दुनियां पास से,
जिंदा ही रहना पड़ता है कुछ आस से,
बुरे दौर में काम आती हैं खामोशियाँ,
सुन लो ये शब्द काम के इस दास से।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)